अहा, लैपटॉप
by प्रवीण पाण्डेय
पिछला एक माह उहापोह में बीता, कारण था नये लैपटॉप का चुनाव। पिछला लैपटॉप 5 वर्ष का होने को था और आधुनिक तकनीक में अपनी गति और भार की दृष्टि से मेरी यथा संभव सहायता कर रहा था। इतने दिन साथ घूमते घूमते थकान का अनुभव कर रहा था पर घर में शान्ति से बैठ सेवायें देने पर सहमत था। जिस यन्त्र पर हाथ सधा हुआ था, जिसके बारे में एक एक तथ्य ज्ञात था, जो मेरी सारी सूचनाओं को वर्षों को सहेजे हुये था, उसे छोड़ कुछ और अपनाना मेरे लिये कठिन था।
मेरे लिये कई निर्णय लेना आवश्यक था। 5 वर्ष पहले तक परिस्थितियाँ भिन्न थीं, लैपटॉप से अपेक्षायें भिन्न थीं, कई महत्वपूर्ण तत्व आकार ले रहे थे, तकनीकी क्षमतायें वर्तमान की आधी थीं, इण्टरनेट व मोबाइल का प्रयोग विस्फोटित होने को तैयार बैठा था। उस समय जो मॉडल लिया था, वह अपने आप में सक्षम था, समयानुसार था, बाजार में अग्रणी था। उसकी पूर्ण क्षमताओं के उपयोग ने बहुत कुछ सिखाया है। जब भी जीवन को अधिक व्यवस्थित करने का समय आया या कम समय में अधिक निचोड़ने की आवश्यकता हुयी, लैपटॉप ने एक समर्थ सहयोगी की भूमिका निभायी है।
आधुनिक संदर्भों में लैपटॉप के चयन के लिये जिन बिन्दुओं पर निर्णय लेने थे उसे निर्धारित करने के लिये मुझे पिछले 5 वर्षों में हुये बदलाव को समझना आवश्यक हो गया। फैशन, सुन्दरता या आकार से प्रभावित न होकर एक ऐसे लैपटॉप का चुनाव करना था जो आपके जीवन का अभिन्न अंग हो, आपकी कार्यशैली से सहज मेल खाता हो। अपनी रुचियों पर आधारित कार्यों को सरल और व्यवस्थित कर सकना, यही एकल उद्देश्य था चयन प्रक्रिया का। तीन महत्वपूर्ण बदलाव हुये, पहला ब्लॉग क्षेत्र में पदार्पण और नियमित लेखन, दूसरा कार्यक्षेत्र में गुरुतर दायित्व और निर्णय प्रक्रिया, तीसरा बच्चों के ज्ञानार्जन की तीव्रता में पिता का सहयोग। स्वाध्याय और जीवन का सरलीकरण पहले की ही तरह उपस्थित थे।
पहला था स्क्रीन का आकार, स्क्रीन का बड़ा होना अधिक बैटरी माँगता है, स्क्रीन का छोटा होना आँखों पर दबाव डालता है। बड़ी स्क्रीन में फिल्में देखने का सुख है तो छोटी स्क्रीन में लैपटॉप को कहीं भी ले जाने की सहजता। मध्यममार्ग अपनाकर 12-13 इंच की स्क्रीन निश्चित की गयी।
अगला निर्णय था, टैबलेट या नियमित कीबोर्ड। स्क्रीन पर वर्चुअल कीबोर्ड सदा ही एक विकल्प था पर अधिक टाईपिंग की स्थिति में स्क्रीन पर टाईप करना अनुपयुक्त और थका देने वाला था। आईपैड व एचपी टचस्मार्ट की स्क्रीनों पर एक घंटे का समय बिताने के बाद नियमित कीबोर्ड अधिक सहज लगे। जहाँ अन्य टैबलेटों के ओएस कम क्षमता से युक्त थे वहीं विन्डोज के टैबलेट अपने नवजात स्वरूप में थे।
प्रॉसेसर की गति और क्षमता में आये परिवर्तन ने हम सबको अभिभूत किया है, संभवतः हमारी आवश्यकताओं से अधिक। भविष्य का ध्यान रखकर भी आई-5 और 4 जीबी रैम ही पर्याप्त लगा।
मेरी हार्ड डिस्क कभी भी 30 जीबी से अधिक भरी नहीं रही, कारण फिल्मों और गीतों के लिये 500 जीबी की वाह्य हार्ड डिस्क का होना। यदि कम हार्ड डिस्क में अच्छा लैपटॉप मिल सकता था तो उसका स्वागत था।
बैटरी का समय महत्वपूर्ण था, एक बार में कम से कम चार घंटे की बैटरी आवश्यक थी मेरे लिये। बड़ी बैटरी लैपटॉप का भार बढ़ाती हैं, छोटी बैटरी आपकी चिन्ता।
इन सीमाओं में इण्टरनेट पर माह भर का शोध करने के पश्चात कई मॉल में जाकर उनका भौतिक अनुभव लिया।
पूरे घटनाक्रम में नाटकीय मोड़ तब आया जब एप्पल के शोरूम में नया मैकबुक एयर देखा। प्रेम विवाह नहीं किया अतः पहली दृष्टि का प्रेम क्या होता था, ज्ञात नहीं था। इसे देखकर मन में जो भाव उमड़े उनका वर्णन कर पाना मेरे लिये संभव नहीं है, पर इतनी छोटी आकृति में उपरिलिखित क्षमतायें भर पाना एक चमत्कार से कम नहीं है। स्टीव जॉब को इस कार्य के लिये नमन।
यह मत पूछियेगा कि एप्पल के इस मँहगे मॉडल के लिये अतिरिक्त धन की पीड़ा आपसे कैसे सहन हुयी? श्रीमतीजी के वक्र नेत्रों की चिन्ता न करते हुये मैं अपने नवोदित प्यार पर अतिरिक्त 15000 खर्च कर आया, प्यार किया तो डरना क्या? अब प्यार का पागलपन तो देखिये, 22 वर्षों के विण्डो के संचित ज्ञान को छोड़ मैं मैक ओएस सीखने बैठा हूँ, आशा है सारे नखरे सह लूँगा।
आप बस एक चित्र देख लीजिये। आपको चेता रहा हूँ आपका मन डोल जाये तो दोष न दीजियेगा।
आप बस एक चित्र देख लीजिये। आपको चेता रहा हूँ आपका मन डोल जाये तो दोष न दीजियेगा।
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प्यार तो होना ही था
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अब बैटरी देख लें – लगभग ६ घंटे |
हिन्दी ब्लॉगजगत में एक और मैक फैन ! प्रवीण जी, ये एक बेहतरीन चुनाव किया है आपने, इसका आपरेटिंग सिस्टम लीओ नहीं हो तो उसे अपग्रेड करा लीजिये, एप्पल मुफ्त करेगा!
आदरणीय पाण्डेय जी इस लैपटॉप के लिए आपको बधाई आपको नवोदित प्यार मुबारक कृपया इन्टरनेट पर ही लड्डू खिलायिए |इस तरह के लेखों का एक व्यंग्य संकलन प्रकाशित हो तो अच्छा रहेगा |
एक छोटा कम्पूटर यंत्र खरीदने की ऊहापोह में अपन भी हैं, लेकिन इतना चढ़ पाने की औकात नहीं है भाई जी! आप अगर इस पोस्ट लिखने की जानकारी कंपनी वाले को देते तो आपको अपने प्यार को खरीदने में हजार-खांड़ की छूट भी मिल जाती 🙂
शनिवार १७-९-११ को आपकी पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया पधार कर अपने सुविचार ज़रूर दें …!!आभार.
दिल तो आ ही गया है…. अपना ४ माह पुराना HP DM4 पुराना लगाने लगा है… देखे कब तक ये निभता है…अगर तलाक हुआ तो नया विवाह 'apple' से ही करेगें…..
अपने लिये तो दूर के ढोल हैं सो सुहावने तो हैं ही।
बधाई !आपकी पसंद है तो सर्वश्रेष्ठ जैसा ही कुछ होगा!वैसे कुछ ज्यादा महंगा नहीं?खैर प्यार किया तो डरना …क्या?
पाण्डेय जी ग्राफिक्स कार्ड की बात आपने नहीं की अभी तो आपके रूम पर डोंट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा होगा 🙂 बधाई हो
सचमुच बेहतरीन चुनाव किया है आपने. हमारा भी दिल इसपे आया हुआ है 🙂
जीवन परिवर्तन का नाम है , और हमारा मन भी परिवर्तन को स्वीकार करता है , आपका प्यार आपको 15००० ज्यादा खर्च पर मिल गया आप सौभाग्यशाली हैं …आशा है आप उसके नखरे झेलते हुए अपने रचनाकर्म को जारी रखेंगे …..अब कुछ मीठा हो जाए …..!
नये लैपटॉप की बधाईयाँ.
आपकी पोस्ट में हम अपनी ही कहानी देख रहे हैं!–नेट डायरी की आपको बहुत-बहुत बधाई!आज से ठीक एक महीने पहले हमने भी यही ली थी!
प्यार को कीमत से तो आँका नहीं जा सकता न..और हाँ अब शब्द तो और भी मोती की तरह लगेंगे पढ़ने में ……और फ़िर बच्चों की खातिर तो सब कुछ जायज है ….बधाई !
यह तो जबरदस्त लगता है -विज्ञापन भी देखा
सचमुच बेहतरीन चुनाव किया है आपने| नवोदित प्यार के लिए मुबारकां|
जिसका लैपी भारी उसका भी बड़ा काम हैहाथों से उठा लो डम्बल्स का क्या काम है 🙂 नये लैपटॉप के लिये बधाई। फॉलोअप पोस्ट का इंतजार रहेगा।
वाकई शानदार है …लैपटॉप लेना होगा तो काम आएगी ये जानकारी !
आपकी पहली नजर के प्यार से हमें भी प्यार हो गया ,बस निकाह करने भर की देरी है ..
इसमें एक पार्टीशन बना कर विंडोस लोड कर सकते हैं , "वर्चुअल बॉक्स" जैसे किसी एक सोफ्टवेयर को लोड करना होगा ! विंडो के मनपसंद सोफ्वेयर चलाने के लिए यह आवश्यक है !बधाई आपको !
आपको नए 'मैक एयर ' की बधाई ! अभी थोड़े दिन पहले मैंने अपने डेस्कटॉप को बिलकुल बदल दिया,नए ज़माने के साथ मैच करते हुए ! लैपटॉप मुझे अपने हिसाब से कम उपयोगी लगा क्योंकि मैं डेस्कटॉप पर काम करने में सहज हूँ !आप नया अनुभव लेते रहें,बिना 'वक्र-दृष्टि' के डर से !
मेरा मन नहीं डोलता कितनी भी नये माडल देख लूँ, इसलिए अपने छः या सात साल पुराने लेपटाप से संतुष्ट हूँ.आप को बधायी. 🙂
साइज़ जीरो की बधाई!!
जीरो साइज वाली से नहीं नहीं वाले से प्यार! वाह क्या फिगर है! सीने से चिपकाकर रखिए। जलने वाले जलते ही रह जाएंगे।
अच्छी जानकारी…किन्तु पूरी कीमत नहीं बताई आपने…क्या यह सभी सॉफ्टवेयर के लिए compatible है?
सही चुनाव है ..नए गठबंधन के लिए बधाई… …बेंगलोर में मेरे पुत्र पर भी 'मैक' है, मुझे तो अधिक नखरे वाला नहीं लगा ..हाँ कुछ सिस्टम तो भिन्न है ही पर सुविधाजनक भी है… …बाकी सौंदर्य तो आपकी पोस्ट वा चित्रों में दिख ही रहा है..
मन तो डोल ही गया प्रवीण जी!!
नया लैपटॉप बहुत बहुत मुबारक हो सर!जहां तक मुझे पता है मैक ओ एस और लिनक्स विंडोज़ से ज़्यादा सुरक्षित हैं। हाँ उसकी कार्य प्रणाली को समझने मे थोड़ा समय लग सकता है। देखने मे भी अच्छा लग रहा है। सादर
बधाई प्रवीण जी ,कुल कितने का पड़ा ?
15000 atirikt – total ? khair jo bhi ho wakai ….aha hi hai
अच्छी जानकारी . इन्डेन्ट मैंने भी लगा दिया है इस स्लिम सुंदरी के लिए . उम्मीद है दिवाली उनके साथ मनेगी .
कभी मोबाइल किनाये कभी लैपटाप किनायेतेरी बातों में है जादू…
बधाई !!!
बहुत बढ़िया काम की जानकारी दी है बधाई….
देखने में तो काफी सुंदर लग रहा है, परन्तु मैक ओएस चलाना हमें नहीं आता, फ़िलहाल तो विंडो पर ही खुश हैं, आगे देखतें हैं| 🙂
मेरा लैपटॉप लेने वाला कोई मिल जाए तो मैं भी ले लूँ 🙂
वाह बहुत बढ़िया चुनाव है…आपको आपका यह प्रेम खूब फूले फले 🙂
नया लैपटॉप बहुत बहुत मुबारक हो…आपकी पसंद है तो निश्चय ही अच्छा होगा…चित्र में तो बहुत सुन्दर और प्यारा लग रहा है…..
मेरे पास भी आजकल लैप टॉप नहीं है। एक लेने का सोच रहा हूँ। इसका पूरा दाम बताइए तो इस विकल्प पर सोचा जाय।
हमारा मन तो डोल चुका है, पर अभी प्रायरिटी दूसरी है.हमारा फिलिप्स एचटीएस 2378 गरमी खाकर हाल ही में जल गया. अब कोई दूसरा एवी रिसीवर 7.2 सिस्टम लेना है.क्या लें?कुछ टेस्टिंग फेस्टिंग हमारे लिए कीजिए मॉलो में जाकर, और क्या जाने आपको भी इनमें से कोई पसंद आ जाए -डेनन, मेरांज, पॉयनियर या ओन्कयो? (यहाँ भोपाल में तो मिलता नहीं अतः नेट से ही खरीदा जाएगा, मगर पहले कोई असल भारतीय रीव्यू तो देखने को मिले)
और ये अभिषेक ओझा की टिप्पणी के लिए -हाँ, मैं आपका लैपटॉप लेने के लिए तैयार हूँ. पूरी कीमत में. परंतु शर्त ये है कि हार्ड डिस्क का डाटा भी इन्टैक्ट होना चाहिए. नो डिलीट नो फॉर्मेटिंग.डन?
बेहतर चुनाव..
सीधे सरल शब्दों में .. एप्पल … अब प्यार तो होना ही था …अगर इसमें हिंदी फॉण्ट डाउन लोड करना सीख जाएं तो जरूर बताइयेगा …
बेहतरीन …आपकी प्रस्तुति आपका चयन .बधाई के साथ शुभकामनाएं ।
पूछ गये प्रश्नों के उत्तर की तलाश में आया था। वास्तव में यह है कितने का ?
प्यार किया तो डरना क्या साबित करके दिखा दिया………बहुत बहुत मुबारक हो आपको आपका प्यार्।
श्रीमतीजी के वक्र नेत्रों की चिन्ता न करते हुये मैं अपने नवोदित प्यार पर अतिरिक्त 15000 खर्च कर आया, प्यार किया तो डरना क्या?लगता है आप भी पक्के ताऊ होगये?:)रामराम.
बधाई ..इस पहली नज़र के प्यार की कामयाबी के लिए…
वाह. … काव्य रस भावित सूचना ……..वाह
हा हा हा…टाईट पोस्ट लिखें है भिया.. 😛 और वो प्रेम वाला एंगल तो और कातिल है 😛 समय मिलते ही आते हैं आपके घर आपके नए लव के दर्शन करने 😛
बधाई!!मासी जी के बेटे जी एपल डीलर हैं – कबसे कह रहे हैं कि यह विन्डोज़ छोडो और मेक पर शिफ्ट हो जाओ – पर डर लगता है नया एक्सपेरिमेंट करते | आपको देख कुछ हिम्मत बन्ध रही है |वैसे -सच ही में बहुत बेहतर हो (४-५ महीने यूज़ के बाद ) तो बताइयेगा | वैसे – आज आपके ब्लॉग पर पहली बार टिप्पणी लिख रही हूँ – पढ़ कर तो कई बार गयी थी, ….
after reading the post and comments i feel its time to leagalize marriage between laptop and man something like manlaposexuality enjoyable post
badhai ho bhai sahab….gazab ka selection kiya hai aapne….Steve Jobs ke fan to hm bhi hain …aur unke jeevan kii teen kahaniyano ko apne blog pe bhi daala hai…aur aaj maine Google Hindi par प्रवीण पाण्डेय search kiya to sabse pehla result aap hi ka tha….:)ek baat aur….jab aap kisi WordPress blog pe comment daalen to apne blog ka url bhi daal dein taki aapka naam click kar ke hi aapke blog tak pahuncha ja sake 🙂
सबसे पहले नये लैपटॉप की बधाईयाँ…!
वाह बहुत बढ़िया चुनाव है…. जबरदस्त है
स्क्रीन का बड़ा होना अधिक बैटरी माँगता है, स्क्रीन का छोटा होना आँखों पर दबाव डालता है। बड़ी स्क्रीन में फिल्में देखने का सुख है तो छोटी स्क्रीन में लैपटॉप को कहीं भी ले जाने की सहजता।…..यह बात तो सही कही आपने….इसे कही भी ले जाये कोई दिक्कत नहीं
मेक के लिए बधाई. १९९७-९८ में इसी प्रकार के चयन का काम हमें भी करना पड़ा था, अपने लिए नहीं, अपने बोस के लिए. IBM Thnkpad ६०० और मूल्य था २,७५०००.
इसी प्रक्रिया में जुटा हूँ…इस हफ्ते तय भी करना है…बस, न जाने क्यूँ मैक की ओर मुड़ नहीं पा रहा हूँ….बाकी तो मैक्स १४" स्क्रीन और बैटरी लाईफ और की बोर्ड का होना मुख्य बिन्दु हैं..साथ में हार्ड ड्राईव और समुचित रैम…बाह्य के बावजूद भी….फिल्में और गाने मैं लैपटॉप पर नहीं लेता…वो घर के डेस्क टॉप से शेयर्ड ड्राईव पर होते हैं तो सराऊन्ड साऊन्ड सिस्टम और टी वी से कनेक्टेड है…गाने उसी माध्यम से आई पॉड और ब्लैक बैरी में ले रखें हैं …रास्ते के लिए. 🙂
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
new latest model lene ke liye badhaai.
वास्तव में बेहतरीन चुनाव..इस पर दिल न आये ऐसा कैसे हो सकता है.
बधाई स्वीकारे प्रवीण जी,वाकई किसी का भी दिल आ जाए इस नाज़नीं पर…
सही वजन व सही कीमत और सब कुछ जिसकी जरुरत है वो सब है इसमें।
बहुत बढ़िया चुनाव…. इस पर तो किसी का भी मन डोल जायेगा ….. 🙂
लैपटाप की यही तो कमज़ोरी है कि वह घूमते घूमते थक जाता है। इसलिए हम जैसे टेबल कुर्सी पर बैठ कर उसी पुराने स्टेंड अलोन से काम चला रहे हैं और वो भी बिना एल सी डी वाले मोनिटर पर- तभी तो कहते हैं ओल्ड इज़ गोल्ड:)
ऊँची लोग , ऊँची पसंद होना भी चाहिये.बधाई.
बधाई हो…….नया मोबाइल, नया लैपटाप…
फिलहाल तो मन डोल रहा है, लेकिन इसके इस्तेमाल के बाद आने वाली आपकी अगली पोस्ट तक बाकी सब स्थगित.
आपको बधाई।अब हम तो जो है उसी से काम चला रहे हैं।
आपको बधाई।वाकेई यह अहा लैपटोप है।
कौन न मर जाए इस चयन पर .आपकी सीखने आगे बढ़ने की अभिनव -प्रोद्योगिक उत्पाद चयन को सलाम .आभार इस जानकारी को साझा करने का .हालाकि भाषा कंप्यूटर सावियों के लिए थी ,उनकी थी .हमारे जैसे पैदल लोगों के लिए नहीं थी .
आपके इस नये लैपटॉप को देखकर सचमुच मुँह से अहा ही निकलता है।
पहली नज़र के प्यार हेतु बधाईनखरों के लिए शुभकामनाएँ
धर्मपरिवर्तन?
नए लैपटॉप के लिए बधाईयाँ. पहली नज़र में हर बार प्यार से भी सावधान रहिये.
ओह विशेष ही है यह तो
ज़ीरो फिगर लैपटॉप के सानिध्य के लिए बहुत बहुत बधाई…जय हिंद…
आभार इस प्रस्तुति और आपकी महत्वपूर्ण ब्लॉग दस्तक की .बधाई इस रूप वान लैप टॉप की .
आपके इस लेख से लैपटॉप के बारे मेंसुन्दर जानकारियाँ मिलीं.नए लैपटॉप के लिए आपको बहुत बहुत बधाई.
लैपटॉप सर्वोपरि है।
अरे लिनेक्स बेसड् लैपटॉप क्यों नहीं लिया 😦
नया लैपटॉप लेने की बहुत -बहुत बधाई …..
प्यार किया कोई चोरी नहीं कीछुप-छुप आहें भरना क्या …..:))बधाई ….!!
एक्सटर्नल हार्ड ड्राईव जो अब तक विंडोज पर चल रही थी, इस पर चलेगी? मुझे लगता है बिना फ़ॉर्मेटिंग किये तो शायद नहीं।लिन्क्स का जीनोम अगर यूज किया हुआ है, तो मैक यूजर इंटरफ़ेस कुछ कुछ वैसा ही है। पहले प्यार के लिये बधाई हो.. देर आये, दुरुस्त आये 🙂
badhai ho badhai
badhai ho badhai
अभी तो मैक लेपी सौन्दर्य दर्शन कर लेतें है, तलाक और विवाह की बाद में सोचेंगे. :)शुभकामनाये………..
आपकी प्रवीणता सिद्ध हुई…पर apple बचपन में भी महंगा था,ससुरा आज भी महंगा है…..
"अहा, लैपटॉप"वस्तु हो या स्थान ,लगाव हो जाता है फिर लैप टॉप तो जीने की मजबूरी है ,हर दम बहुत ज़रूरी है .आभार आपकी सहृदय दस्तक का .
wow… awesome selection… Congrats… :)sahi hai jab bhi purane pyaar se alag hona padta hai aur naye k saath adjust karna padta hai tab bahut takleef hoti hai… mujhe bhi hua tha, jab new mobile liya tha… mere oopar mummy ki vakra drishti thi :Pbut maza aa gaya is mobile ko lekar… sach koi kuchh bhi kahe but this is truly what I need…
क्या खूबसूरत लैपटाप है, कार्यक्षमता के बारे में तो आप अधिक जानते हैं प्रवीणजी लेकिन वाकई मन मोहने वाला लैपटाप है।
sunder leptop…lena hai socha dobara dekh loo
शुक्रिया प्रवीण भाई .इंटरनेट की पतंग है ब्लॉग ,लेखन का उत्कर्ष ,इसी लिए तो अब दत्तक पुत्र है लैपटॉप .
सर बहुत अच्छी चुनाव , पर डर क्यों ? घर में नए और आधुनिक मेहमान की स्वागत होनी ही चाहिए ! उपयोगी और हलकी लैप टाप- बधाई !
sundar aur behtar majaa ayaa aapkaa lekh padh kar !!
बधाइयां प्रवीण जी.काफी समय से मैं macbook इस्तेमाल कर रहा हूँ और आज तक एक भी बार निराश नहीं हुआ हूँ. एक टिप "कमांड + space " आपको लैपटॉप में राखी हुयी कोई भी फाइल मेल या document ढूंढ के ला देगा.
कंप्यूटर और मोबाइल आदि की नई प्रौद्योगिक पर आपकी जानकारी हमेशा प्रभावित करती है.
कंप्यूटर और मोबाइल आदि की नई प्रौद्योगिकी पर आपकी जानकारी हमेशा प्रभावित करती है.
बहुत मुबारक हो….
आप गैजेट्स सम्बन्धी पोस्टें भी साहित्यिक और रुचिकर शैली में लिखते हैं। पूरे रस से पढ़ता हूँ, आप मानेंगे इस पोस्ट को पढ़ने में पूरे बीस मिनट लिये।बधाई आपको नये प्यार के सफल होने की। ऍपल के उत्पाद निश्चय ही खूबसूरत होते हैं, हाँ इस खूबसूरती में कुछ बन्दिशें जरूर होती हैं।पोर्टेब्लिटी के कारण हमने दस इंच स्क्रीन तथा भौतिक कीबोर्ड से लिखने की सुविधा के कारण टैबलेट की बजाय नेटबुक को चुना।
और हाँ मैक पर तो हम चाहकर भी नहीं जा सकते। अपनी तो दुकान ही विण्डोज़ सम्बन्धी लेखों पर चलती है।@दिगम्बर नासवा,मैक में हिन्दी फॉण्ट डाउनलोड करने का कोई चक्कर नहीं। हिन्दी समर्थन होता है, इनबिल्ट इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड से हिन्दी टाइप कर सकते हैं।
SIR,AAPKE PAHALA PAHALA PYAR KE LIYE HARDID BADHAI.AB TO AAPKE IS PREM PATRA KO PADHKAR MUJHE BHI….KASH! EK MAH PAHALE SONY KA "VAIO" NA LIYA HOTA.
गजब का लुक है.. कितने का मिला.. ये तो बताया नही.. बेकार ही इधर उधर हाथ पॉव मारना पड़ा.. अभी भी सही price देख्ने को नही मिली.. 😦 आप बता दे तो.. 😉 वैसे मैक पर भी आप लिनक्स और विंडोज आसानी से यूज कर सकते हैं.. बस रैम और प्रोसेसर अच्छा होना चाहिए.. क्योंकि ज्यादा ऐसा कुछ विंडोज पर है नही कि उसके लिए मैक की बलि देनी पड़े.. जब कोई एप्लीकेशन यूज करना हो तो वर्चुअल बॉक्स की सहायता से आप उसे यूज कर सकते हैं… कम से कम मैक रूपी भौतिक अवयव से भौकाल तो बना रहेगा.. 😉 😉
एक बार कोशिश कीजिएगा.. 🙂
Rs. ~50000??
आपकी पोस्ट पढ़कर मुझे याद आता है वो दिन जब मैंने पहली बार विण्डोज़ ऍक्सपी देखी थी, मैं विस्मित, चमत्कृत रह गया था, कभी उसके बारे में लिखूँगा।