सूट नहीं करता सूट

by प्रवीण पाण्डेय

हम कहाँ हैं इसमें

इस समस्या से पिछले 37 वर्षों से जूझ रहा हूँ और अब तक मेरा स्कोर रहा है – 8 या 9। सारे के सारे दिन स्मृतिपटल पर स्पष्ट हैं। साक्षात्कार के समय, कन्वोकेशन के समय, प्रशिक्षण के समय, अपने विवाह पर, भाई के विवाह पर, पुरस्कार लेते समय और कुछ अन्य बार यूँ ही। पर हर बार ठेले जाने पर ही सूट पहना। अब तक कुल तीन सूट सिलवाने पड़े हैं। एक सूट चला लगभग तीन बार। हर बार पहने जाने का मूल्य लगभग 2000 रु। इतना मँहगा पहनावा हो तो भला कौन प्रभावित न हो, होना ही पड़ेगा। घर में हैंगरों में टंगे रहने से एक तो वार्डरोब की शोभा बढ़ती है और हर बार अपनी मूर्खता पर हँस लेने से थोड़ा खून भी बढ़ जाता है। इस दृष्टि से देखा जाये तो श्रीमती जी के आभूषणों से कहीं अधिक बहुमूल्य हैं मेरे सूट।

समस्या पर यही है कि ये सूट शरीर को सूट ही नहीं करते हैं। घुटन सी लगती है, बँधा हुआ सा लगता है अस्तित्व। हाथ ऊपर करने में लगता है कि पूरा पेट खुल गया है। भोजन का कौर मुँह तक पहुँचाने के लिये हाथ को सारे अंगों से युद्ध करना पड़ता है। हैंगर जैसा व्यक्तित्व हो जाता है। टँगे रहिये, जहाँ हैं आप क्योंकि सूट पहनने से आप विशेष हो जाते हैं और विशेष मानुष असभ्य सी लगने वाली सारी गतियाँ कैसे कर सकता है। टाई गर्दन पर लटकी रहने से यह डर रहता है कि कहीं कोई विनोद में ही पकड़कर झटक न दे, ऊपर की साँसे ऊपर और नीचे की नीचे, मस्तिष्क कार्य करना बन्द कर देता है।
मन का डर मन में छिपाये फिरते हैं। क्यों न हो, सब बड़े बड़े लोग पहनते हैं। पहन कर आवश्यकता पड़ने पर भाँगड़ा भी कर लेते हैं। हम तो जब पहनते हैं तो उछलते नहीं और जब उछलना आवश्यक हो तो पहनते नहीं। क्योंकि यदि यह भेद पता चला गया तो हम नीचे गिर जायेंगे सभ्यता के मानकों से, ब्लडी गँवार कह देगा कोई।
कैज़ुअल वस्त्र पहनता हूँ, चेहरा भी वैसा ही है। सौम्यता व गाम्भीर्य चेहरे में टिकने के पहले ही उकता जाते हैं। लोगों को दिखता भी है। कार्यालय में बहुत आगन्तुक बोल चुके हैं कि हम तो सोचे थे कि कोई बड़ी उम्र का (पढ़ें, अधिक सौम्य और गम्भीर) व्यक्ति होगा इस पोस्ट पर। अब पिछले 19 वर्षों से वोट डाल रहा हूँ, कितनी और उम्र चाहिये आपको समझने के लिये और कुर्सी पर बैठने के लिये?
मेरा बस चले तो सूट पहनने का आँकड़ा दहाई नहीं छू पायेगा पर श्रीमती जी बार बार याद दिला देती हैं कि इतने मँहगे सिलवाये हैं तो पहनने की आदत भी डालिये। किसी तरह तो टाल रहे हैं पर यदि असह्य हो गया तो या सूट की जेब में चूहा डाल कर वार्डरोब बन्द कर देंगे या अपने दूध वाले को पकड़ा देंगे। आपको कोई और उपाय समझ में आये तो बताईये।
(गर्मी आ रही है और सूट का प्रकरण चल रहा है, संभवतः इसी बहाने आपको मेरी उलझन गाढ़ी लगेगी। फिर भी विषय सामयिक है क्योंकि बंगलोर में यही माह सबसे ठण्डे होते हैं।)


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