मन का बच्चा बचा रहे
by प्रवीण पाण्डेय
मैं न कभी उद्वेगों को समझा पाया,
मैं न कभी एक निश्चित चाह बना पाया,
जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,
था जितना बचता साध लिया, और शेष प्रज्जवलित छोड़ गया,
जीवन को संचय का कोरा घट, नहीं बना मैं सकता हूँ,
सज्जनता से जीवित होता, झूठे भावों से थकता हूँ।
पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,
जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित,
जो था अच्छा बचा रहे,
जो था सच्चा बचा रहे,
जीवन की यह आपाधापी,
अच्छे और सच्चे के बचने के लिये मन के बच्चे का बचना जरूरी है।
मन की मासूमियत ,सहजता ,उछाह उजास ही तो जीवन की जीवन्तता है … जीवन भर यह भाव स्पंदित रहे -कवि अभिलाषा से तादात्म्य है !
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की आपाधापी में,मन का बच्चा बचा रहे।–सभी को यही अर्चना करनी चाहिए!
—-मन बच्चा बना रहे…सारे द्वन्द्व ही समाप्त हो जांय…वो कागज़ की कश्ती वो नदिया का पानी…
जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।मन में विशुद्ध भाव रखने के लिए बच्चा बनना ही उचित है.
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे …आमीन !.
बहुत सही मांग है….बच्चे मन के सच्चे…..
''जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित'' ऐसा कैसे हो सकता है, रंग तो बच्चे की आंखें भर लेंगी फिर क्यों न जीवन को रंगीन मानें, झूठा ही सही.
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे । हाँ सही कहा आपने क्योकि बच्चे मन के सच्चे ….ज्यों-ज्यों इनकी उम्र बढे मन पर पाप का मैल चढ़े……बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति मन के द्वन्द को काबू में रखकर संतुलित रखने की प्रेरणा देती हुयी….
जीवन की रचना स्वस्थ रहे …यद्यपि हो जाये रंगहीन …जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।शुभ विचार .. आमीन !
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।bahut zaruri hai…
हमेशा ही मन में एक बच्चा रहता है बस इसका बचना ज़रूरी है …आमीन
सच्चे जीवन का तिलक,हर माथे पर रचा रहे !मानवता बच जाए ग़र,मन का बच्चा बचा रहे!
tabhi to ye balak bara nahi hona chahta…….pranam.
मन का बच्चा बचा रहे ।बस यही सबसे ज़रूरी है
सभी को यही अर्चना करनी चाहिए!अच्छे और सच्चे के बचने के लिये मन के बच्चे का बचना जरूरी है।
अच्छे लगे सच्चे मन के उदगार.
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।जीवन इसी का नाम है …हम बच्चे बने रहें ..और दूसरों के लिए ख़ुशी का कारण बनते रहें …आपका आभार
जीवन को संचय का कोरा घट, नहीं बना मैं सकता हूँ,सज्जनता से जीवित होता, झूठे भावों से थकता हूँ।कितने सुन्दर शब्द दिये हैं आपने…………भाव प्रधान रहे हैं।
बेहतरीन। उम्मीद करता हूं कि बचा रहेगा।
dil toh baccha hai ji! haha
मन का बच्चा बचा रहे ।बस यही सबसे ज़रूरी है
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।बहुत खूब कहा है आपने इन पंक्तियों में …।
बच्चे ही सच्चे होते है , रामकृष्ण परम हंस भी जीवन भर बचपना लेकर जीते रहे . उसी में सरलता है
मन के बचने के लिए बच्चे का बचना जरूरी है 🙂
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे आमीन ……
dil to bachcha hai jee…:)yaad aa gaya…!!kash hamari soch bhi aisee hi bani rahe..!
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।ाज की दुनिया मे यही तो बचना मुश्किल है\ फिर भी कोशिश जारी रहनी चाहिये। सुन्दर रचना। बधाई।
जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,था जितना बचता साध लिया, और शेष प्रज्जवलित छोड़ गया,जीवन को संचय का कोरा घट, नहीं बना मैं सकता हूँ,सज्जनता से जीवित होता, झूठे भावों से थकता हूँ। यानी कि आज के युग के हिसाब से आपने सारे काम उलटे किये 🙂 बेहद ह्रदय स्पर्शी पंक्तियाँ
जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,था जितना बचता साध लिया, और शेष प्रज्जवलित छोड़ गया,…बहुत मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ…भाव और ओज का बहुत सुन्दर सामंजस्य..अगर मन का बच्चा बचा रहे तो फिर जीवन में खुशी के लिए और क्या चाहिए..
मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा,बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से डरता है!
सहमत हे जी आप की इस सुंदर कविता से, धन्यवाद
बहुत ही खुबसूरत ख्याल है……….
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।ईश्वर करे, ऐसा ही हो…
जीवन की आपाधापी में,मन का बच्चा बचा रहे।bahut achchhi baat kahi aapne these two lines are saying too many things .i wish we all will remain child by heart always
मन का बच्चा बचा रहे ……!इस लाइन पर एक पूरा किताब लिखी जा सकती है ! आप मर्मज्ञ हैं इश्वर आपके मन को ऐसा ही बनाये रखे ! शुभकामनायें !
बहुत खूब, बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दोचार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जायेंगे…
जाहिर है, बच्चा बना रहना सम्भव नहीं। बच्चा बना रह ही नहीं सकता। प्रकृति ने ही व्यवस्था कर दी है। यदि मन बच्चा बना रहे और बच्चा ही बना रहे तो सारे संकट दूर हो जाऍं। बच्चा ही कह सकता है – राजा नंगा है।आपकी मनोकामना हम सबको फलीभूत हो। आमीन।
The loss of one's innocence is a turning point in our life.भोलापन, न केवल मन का बल्कि दिल का और आतमा का, जब हम खोते हैं, तब हम अपना बचपन खोते हैं G Vishwanath
जीवन की आपाधापी में ..मन का बच्चा बचा रहे … कितना सुन्दर वर्णन है एक सुन्दर सरल जीवन के लिए… बहुत खूब… सुन्दर रचना ..
जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित>>आपकी प्रार्थना में मैं भी शरीक हूं:)
मन का बच्चा बचा रहे बस और कुछ नहीं ….
मुझे लगता है मेरे अन्दर अभी मन का बच्चा बचा है …………कब तक पता नही
कविता अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है।
जब महात्माजी अपने शिष्यों के साथ वापिस जा रहे थे शिष्यों के मन में उथल पुथल थी की गुरूजी ने ऐसा आशीर्वाद क्यों दिया ?तब उन्होंने बड़ी विनम्रता दे पूछा ?गुरुवर जिन्होंने अच्छा आचारण किया छिन्न भिन्न का और जिन्होंने खराब आचरण किया उन्हें स्थायी रहने का आशीर्वाद क्यों ?तब महात्माजी ने कहा -जो लोग अच्छे है वो जहाँ भी जायेगे अपनी सच्चरित्रता फैलायेंगे और सुन्दर संसार बनायेगे |इसलिए छिन्न भिन्न होना है |और जो लड़ाई झगड़ा करते है वो एक ही जगह रहे वही कटे मरे तो ठीक है |अपनी बुराइयाँ आगे न फैलाये |जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहआपकी प्रार्थना पढ़कर मुझे यः बोध कथा स्मरण हो आई |
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे …आमीन….सादर, डोरोथी.
nice creation…:)
दिल को छू लेने और बस जाने वाली कविता.इसे पढ़ते हुए एक दुआ होठो पर आती है क़ि सृजन इतना अच्छा, बचा रहे.
मन की निश्चलता के लिए बच्चा बनना ही उचित है.
बचपनके बारे में क्या कहना जी…..मेरी एक रचना का एक अंश है….."जब फिरते थे इठलाते से,माटी,कचरे को अंग लगाये,सारी चिंताएं लेकर,जाने क्यूँ आया ये यौवन?भूले नहीं हैं बचपन के दिन !"बचपन अनमोल विरासत है,अफ़सोस उसे हम बचाकर रख नहीं सकते ,याद रखने के सिवा !
अगर मन का बच्चा बचा रहे तो फिर जीवन में खुशी के लिए और क्या चाहिए|बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति|
बहुत पहले बीबीसी पर ‘बाल-सभा’ में एक कविता सुनी थी जो यह पोस्ट पढ़ने के बाद मन गुनगुनाने लगाअच्छा होना अच्छा हैलगता इसमें दाम नहीअच्छा बनते जाने से अच्छा कोई काम नहीं:)
जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।बस यही कामना है….सुन्दर अभिव्यक्ति
जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,आपके हाथों में पानी है इतना क्या कम है …..
'मन का बच्चा बचा रहे .' आमीन !
आमीन, बहुत ही सुन्दर व सही कविता.दिक्कत यही है की हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं, वैसे वैसे हमारे अन्दर का बच्चा मरने लगता है या हम खुद ही उसे मरने लगते हैं, लेकिन सच यही है कि"जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की आपाधापी में,मन का बच्चा बचा रहे।"एकदम सच्ची पंक्ति है यह.
अपने साथ ही दूसरो का मन भी बच्चा बना रहे यही सच्चापन है । सबके मन का बच्चा चिरायु हो ….
जब तक बच्चा है, बचा है..
बचा रहेगा..
अब सभी ब्लागों का लेखा जोखा BLOG WORLD.COM पर आरम्भ होचुका है । यदि आपका ब्लाग अभी तक नही जुङा । तो कृपया ब्लाग एड्रेसया URL और ब्लाग का नाम कमेट में पोस्ट करें ।http://blogworld-rajeev.blogspot.comSEARCHOFTRUTH-RAJEEV.blogspot.com
man mein satyanishta ka mangal prabhatprarthna ke liye uthe sarthakshabd haathbahdaee
praveen ji baht hi badhiya avam sarthak post .bilkul sach kaha aapne-जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे bachhe to nishhl man ke bhole v pyaare hote hain .agar aaj insaan man se bachh hi bana rahe to shayad duniya ka naksha kuchh aur hi hoga..bahut hi sundar prastuti==== poonam
जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।बस यही कामना है….सुन्दर अभिव्यक्ति
वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाएकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सकामाफ़ी चाहता हूँ
very true…innocence and nascency must be preserved..
दिल तो बच्चा है जी…
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।sunder rachna k liye badhai
इस बात को आजतक न जाने कितने लोगों ने कही होगी,पर आपके कहने का अंदाज और असर निराला है…सीधे मन तक पहुँचता है और इसका अंग बन जाता है…
ईश्वर आपकी अभिलाषा पूर्ण करें…
इस प्रकार की प्रार्थना कभी कभी ही पढ़ने को मिलती है |
पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहितद्वन्द्वरहित प्रार्थना फलीभूत हो।
@ संजय @ मो सम कौन ?मन के बच्चे को खटकता रहता है कुछ भी गलत होना, यही आधार रहेगा जिससे अच्छाई बची रहेगी।@ Arvind Mishraआस है जो मन में बचे रहने की, मेरे और आप सबके, उसी से विश्व में कोमल भावों का संचार संभव है।@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"यही अर्चना करेंगे सब तो न जाने कितना अच्छापन बच जायेगा सबके हृदय में, एक दूसरे के प्रति।@ Dr. shyam guptaबच्चा द्वन्द में सच्चाई देखता हैं, हम वयस्क चतुराई।@ रचना दीक्षितमन की निर्मलता बनाये रखने के लिये बालक सा उत्साह आवश्यक होता है, बस वही बचा रहे।
@ ZEALबहुत धन्यवाद आपका।@ Rajesh Kumar 'Nachiketa'काश वह कोमलपन जीवनपर्यन्त बना रहे।@ Rahul Singhबच्चों को तो सब रंगीन लगता है, पर जब स्वास्थ्य और रंग की बात आयेगी, स्वास्थ्य पहले चुना जायेगा।@ honesty project democracyउम्र के साथ साथ स्वार्थ का न जाने कितना मैल चढ़ जाता है, पर उसे हटाकर अन्दर देखें तो अभी भी एक भोला बच्चा छिपा होगा। @ वाणी गीतबहुत धन्यवाद आपका, काश जीवन सरल हो जाये।
@ रश्मि प्रभा…बहुत धन्यवाद आपका।@ संगीता स्वरुप ( गीत )वही हमको टोकता रहता है, अपने बच्चों की तरह।@ ज्ञानचंद मर्मज्ञबहुत सुन्दर पंक्तियाँ, मानवता का प्रश्न है।@ सञ्जय झातथाकथित बड़े होने में हमें भी डर ही लगता है।@ Kajal Kumarकाश आप सबकी प्रार्थना सुन ली जाये।
@ Deepak Sainiबहुत धन्यवाद आपका।@ ashishबहुत धन्यवाद आपका।@ : केवल राम :बच्चे सबको प्रसन्नता देते हैं, मन का बच्चा निसन्देह प्रसन्नता ही देगा।@ वन्दनाभावों में शरीर को प्रभावित करने की क्षमता होती है।@ satyendraबहुत धन्यवाद आपका।
@ SEPOउसे बचाये रखना होगा।@ neelima sukhija aroraवह बचा रहे तो मानवता बची रहेगी।@ सदाबहुत धन्यवाद आपका।@ गिरधारी खंकरियालसरलता बच्चों का गुण, मानसिक प्रदूषण से कोसों दूर।@ डॉ महेश सिन्हामन का बच्चा बचा रहे, तभी हम छोटे छोटे सुखों का आनन्द ले पायेंगे।
@ shikha varshneyबहुत धन्यवाद आपका।@ Mukesh Kumar Sinhaसरलता का आनन्द बच्चा बने रहने में है।@ निर्मला कपिलाजीवन में यह सरलता दुर्लभ रहनी चाहिये।@ पी.सी.गोदियाल "परचेत"काम उल्टे कर रहे हैं पर फल सीधा साधा मिल रहा है।@ Kailash C Sharmaछोटी बातों की खुशी केवल बच्चा ही उठा पाता है।
@ सम्वेदना के स्वरसच में बड़ा होने से डर लगता है।@ राज भाटिय़ाबहुत धन्यवाद आपका।@ उपेन्द्र ' उपेन 'बहुत धन्यवाद आपका।@ सुशील बाकलीवालहम सबकी अर्चना स्वीकार हो जाये।@ "पलाश"वही जीवन की उपलब्धि होगी।
@ सतीश सक्सेनाआप ही वह पुस्तक लिखने के सर्वाधिक योग्य हैं। आप ही लिखें, आपका अनुभव हम सबके काम आयेगा।@ सोमेश सक्सेनायही डर लगता है कि यदि ये हम जैसे हो गये तो कितना अहित हो जायेगा।@ विष्णु बैरागीसच कहा आपने, बच्चा सरल भी होता है, साहसी भी। वही कह सकता है कि राजा नंगा है।@ G Vishwanathअब उस सरलता में लौट पाना रह रह कर कठिन होता जा रहा है, प्रयास करता हूँ तो अपना वर्तमान देखकर आँखे नम हो जाती हैं।@ डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिजीवन जितना सरल हो उतना अच्छा होता है।
@ cmpershadसमवेत स्वर और भी शक्ति लिये होंगे।@ Sunil Kumarयही सरलता साध्य हो, बस।@ dhiru singh {धीरू सिंह}बचाये रखिये, सबको उसकी दृष्टि चाहिये, घटनाओं को समझने के लिये।@ मनोज कुमारबहुत धन्यवाद आपका। मेरे तो मन से बह गयी यह प्रार्थना।@ शोभना चौरेबहुत धन्यवाद आपका, यह कथा बाटने के लिये।
@ Dorothyबहुत धन्यवाद आपका।@ Gopal Mishraबहुत धन्यवाद आपका।@ संतोष पाण्डेयमन का बच्चा बचा रहेगा तो सृजन में सरलता बनी रहेगी नहीं तो शब्दजाल में उलझ जाने का क्रम निकल ही आता है।@ डॉ॰ मोनिका शर्मानिश्छल मन, सरल जीवन, लक्ष्य पर प्रतिबद्धता, और क्या चाहिये।@ संतोष त्रिवेदीबहुत सुन्दर रचना, न जाने क्यों आया यौवन।
@ Patali-The-Villageतभी खुशी बनी रहेगी निश्छल निर्मल।@ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीअच्छे बनते रहना होगाबच्चा बनते रहना होगा।@ rashmi ravijaबहुत धन्यवाद आपका।@ हरकीरत ' हीर'हाथों का पानी कितनी अग्नि बुझा सकता है?@ प्रतिभा सक्सेनाबहुत धन्यवाद आपका।
@ Sanjeet Tripathiबच्चा तो सदा ही सच बोलता है, हम ही उसे चुप करा कर बैठा देते हैं, बार बार।@ niveditaमन का बच्चा उम्रभर साथ रहे, यही प्रार्थना है।@ चला बिहारी ब्लॉगर बननेबच्चा ही बचे बस।@ भारतीय नागरिक – Indian Citizenबहुत धन्यवाद आपका।@ RAJEEV KUMAR KULSHRESTHAबहुत धन्यवाद आपका।
@ Ashok Vyasबहुत धन्यवाद आपका, सबकी प्रार्थना बल पाये।@ JHAROKHAजब घर में बच्चे आता है, माहौल हल्का और आनन्दमय हो जाता है, वही हाल मन के बच्चे के साथ भी होता है।@ संजय भास्करबहुत धन्यवाद आपका।@ amit-niveditaवही हम सबका प्रयास हो, चतुराई से कुछ नहीं मिलेगा।@ Akanksha~आकांक्षादिल तो बच्चा है जी…बस वही बच्चा बचा रहे।
@ amrendra "amar"बहुत धन्यवाद आपका।@ रंजना सरल बात तो सरलता से ही मन से निकली है, बच्चे बने रहने की वाणी जटिल कैसे हो।@ नरेश सिह राठौड़पर मन सदा ही करता रहता है जब निर्मलता में होता है।@ mahendra verma जीवन चिन्तन दूषित न हो स्वार्थतिक्तता से।
बहुत ही निर्मल और सशक्त प्रार्थना, शायद ऐसी ही प्रार्थनाएं ईश्वर सुनता है जो बाल मन से की गई हों, शुभकामनाएं.रामराम.
पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित,जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।…….मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। बधाई।
@ ताऊ रामपुरिया सरलता की प्रार्थना सरल मन से न की जाये तो उसका कोई अर्थ नहीं। बच्चों की तो भगवान सुनता ही है।@ Dr Varsha Singh बहुत धन्यवाद प्रोत्साहन का।
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।….aaj isi kee samaj ko shakht jarurat hai…. bahut sundar
@ कविता रावतसमाज के हर स्तर पर जो विष घुल गया है, उसे केवल मन का बच्चा ही बचा सकता है, निर्मल और निश्छल।
आज बस यही दुआ, आमीन!
मासूम अभिव्यक्ति…माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप पर बना रहे.
@ Avinash Chandraआपका स्वर भी इसी प्रार्थना को मिले।@ शब्द-साहित्य बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .अच्छा लगा….
जीवन को जीवटता से जीने में सतत अभ्यासरत होने की झलक मिलती है,इस रचना में |
जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।बहुत ही सुन्दर भाव.
@ वर्ज्य नारी स्वर बहुत धन्यवाद आपका।@ sunil purohitजब मन को बचाये रखने का प्रयास होगा, आनन्द और सततता बनी रहेगी जीवन में।@ अभिषेक मिश्रबहुत धन्यवाद आपका।
रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन भौतिक शास्त्र में नोबेल पुरुस्कार विजेता हैं। वे २०वीं शताब्दि के दूसरे भाग में सबसे जाने माने वैज्ञानिक रहे हैं। उनकी गोद ली पुत्री ने कुछ समय पहले Don’t you have time to think नाम से उन्हें भेजे पत्र एवं उनके जवाबों का संकलन निकाला है। यह एक बेहतरीन पुस्तक है। पढ़ने से लगता है वे इतना कुछ कर पाये क्योंकि जीवन भर बच्चों की उत्सुकता को रख पाये।
बहुत खुबसूरत बात कही आपने सच मै दोस्त अपने अन्दर के बच्चे को हमेशा जिन्दा रखना चाहिए वही तो हर वक़्त आगे बड़ते रहने और हमे जीने का होंसला देती है !बहुत खुबसूरत बात खुबसुरत अंदाज़ मै सुनना अच्छा लगा !
@ उन्मुक्त बिना बच्चों सी उत्सुकता रखे जीवन में कुछ नया नहीं दिख पाता है। मन का यह रूप बचा रहे।@ Minakshi Pant जीवन को गम्भीर बना देने से जीवन का आनन्द चला जाता है, बालकों सा अल्हड़पन बना रहे।
पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित,जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।आपके इतने कोमल और शुद्ध भाव बहुत अच्छे लगे -बहुत सुंदर रचना है .
कविताओं पर टिप्पणी करना मेरे लिए सबसे कठिन है…केवल खूबसूरत बोल के निकलना भी नहीं चाहता 🙂
@ anupama's sukrity !भावों की कोमलता शीघ्र ही बह निकलती है यदि बाहर का वातावरण देख नयन द्रवित होने लगें।@ abhi मन का बच्चा बचा रहे तब तो।