मगन होके बहती है, जीवन की लहरी

by प्रवीण पाण्डेय

अरुण मन्त्र गाता, निशा गीत गाती,
सन्ध्या बिखेरे छटा लालिमा की ।
रहे खिलखिलाती वो, चुलबुल दुपहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।१।।
हृदय में उमंगें उमड़तीं, मचलतीं,
जहाजों की पंछी बनी साथ चलतीं ।
कभी गुदगुदाती हैं यादें रुपहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।२।।
जीवन के सब पथ स्वयं नापने थे,
बँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे ।
आशा की बूँदों की बरसात पहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।३।।
प्रश्नों का निर्वाण, अब उत्तरों का,
स्वच्छन्दता से भरे उत्सवों का ।
मचता है उत्पात, सोते हैं प्रहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।४।।
चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
वसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।५।।
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
उतरती गगनपथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।

पहले अर्चना चावजी का स्वर, फिर मेरा अनुसरण

http://www.divshare.com/flash/audio_embed?data=YTo2OntzOjU6ImFwaUlkIjtzOjE6IjQiO3M6NjoiZmlsZUlkIjtpOjE0MjM3ODMyO3M6NDoiY29kZSI7czoxMjoiMTQyMzc4MzItOTkyIjtzOjY6InVzZXJJZCI7aToyMDA4MTgxO3M6MTI6ImV4dGVybmFsQ2FsbCI7aToxO3M6NDoidGltZSI7aToxMjk5MzgwNDAxO30=&autoplay=default

http://www.divshare.com/flash/audio_embed?data=YTo2OntzOjU6ImFwaUlkIjtzOjE6IjQiO3M6NjoiZmlsZUlkIjtpOjE0MjM3ODMzO3M6NDoiY29kZSI7czoxMjoiMTQyMzc4MzMtNDAzIjtzOjY6InVzZXJJZCI7aToyMDA4MTgxO3M6MTI6ImV4dGVybmFsQ2FsbCI7aToxO3M6NDoidGltZSI7aToxMjk5MzgwNDgzO30=&autoplay=default